सनस्क्रीन के प्रकार जान लें

 सनस्क्रीन के टाइप समझने से पहले समझते हैं कि SPF क्या है?

SPF यानि सन प्रोटेक्शन फैक्टर इसका इस्तेमाल सनस्क्रीन में आपको लंबे समय तक सूरज की रोशनी से बचाने के लिए किया जाता है। इसलिए सनस्क्रीन खरीदते समय ज्यादा से ज्यादा उच्च SPF वाला सनस्क्रीन टाइप को खरीदना चाहिए। हालांकि इसका उपयोग खासतौर से इस बात पर भी निर्भर करता है आप कितनी देर तक सूरज की रोशनी में बाहर रहते हैं। उदाहरण के तौर पर SPF 15 सनस्क्रीन टाइप का अगर आप इस्तेमाल करते है तो ये आपको 15 गुणा लंबे समय तक सूरज की रोशनी से बचाने का काम करती है।

UV सनस्क्रीन क्या है?

UV सनस्क्रीन टाइप विशेष रूप से आपकी त्वचा को सूरज के हानिकारण अल्ट्रा वायलेट रेज से बचाने का काम करती है। सूरज के इस हानिकारक अल्ट्रा वायलेट रेज को ही दो विशेष केटेगरी में विभाजित किया गया है, UVA और UVB इन दोनों का भी सनस्क्रीन में मौजूद होना आवश्यक माना जाता है।

UVA सनस्क्रीन क्या है?

यू वी रेज के साथ A विशेष रूप से एजिंग का मानक माना जाता है। इसे अल्ट्रा वायलेट एजिंग रेज के नाम से भी जाना जाता है। ये वो किरणें होती हैं जो आपकी त्वचा के सबसे गहरी और निचली परत तक पहुंच सकती है। ये किरणें आपकी स्किन के भीतर कोशिकाओं की संरचना को तोड़ने का काम करती है। इस वजह से ही स्किन पर फाइन लाइन, पिगमेंटेशन और मेलेनोमा की समस्या उत्पन्न होती है। इसलिए आपके सनस्क्रीन टाइप में ये UVA प्रोटेक्शन का गुण जरूर होना चाहिए।

UVB सनस्क्रीन क्या है?

यू वी रेज के साथ B विशेष रूप से सनबर्न और त्वचा संबंधी रोगों के लिए जिम्मेवार माना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, UVB रेज विशेष रूप से स्किन की भीतरी परतों को प्रभावित करती हैं और सनबर्न के साथ ही विभिन्न स्किन रोगों का कारण भी बन सकती है। ये हानिकारण किरणें स्किन कैंसर का कारण बन सकती है। इसलिए सनस्क्रीन में UVB प्रोटेक्शन का होना भी बेहद जरूरी माना जाता है।

 सनस्क्रीन के टाइप में फिजिकल और केमिकल सनस्क्रीन क्या है?

फिजिकल सनस्क्रीन

फिजिकल सनस्क्रीन में मुख्य रूप से कुछ ऐसे खनिज पदार्थ पाए जाते हैं आपकी त्वचा पर एक सुरक्षात्मक परत बनाते हैं। ये परत आपकी स्किन को खासतौर से हानिकारक यू वी किरणें जैसे UVB और UVA से बचाने का काम करती है। सनस्क्रीन के इस प्रकार को विशेष रूप से संवेदनशील त्वचा के लिए प्रभावी माना जाता है। यह आपकी स्किन के रोम छिद्रों को मिनीमाइज कर उसे सूरज के हानिकारक किरणों से बचाने का काम करती है। शोधकर्ताओं के अनुसार भारत में रहने वालों के लिए फिजिकल सनस्क्रीन का इस्तेमाल काफी है। इसमें UVB और UVA प्रोटेक्शन के साथ SPF 20 पाया जाता है, ये आपको अल्ट्रा वायलेट रेज से बचाने में अहम भूमिका अदा करती है।

केमिकल सनस्क्रीन टाइप

बात अगर करें केमिकल सनस्क्रीन की तो इसमें ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो आपकी त्वचा को खासतौर से हानिकारक अल्ट्रा वायलेट रेज से सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये त्वचा के अंदर आने वाली इन खतरनाक किरणों को अवशोषित कर रासायनिक प्रक्रियों के द्वारा उनके प्रभाव को खत्म करने का काम करती हैं। केमिकल सनस्क्रीन आमतौर पर फिजिकल सनस्क्रीन से थोड़े पतले होते हैं। इस सनस्क्रीन टाइप को त्वचा पर लगाना काफी आसान होता है। हालांकि, जिनकी त्वचा संवेदनशील होती है उन्हें केमिकल सनस्क्रीन लगाने से त्वचा संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं।

 

 

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