कोरोना वायरस कोविड-19 (COVID- 19) जैसी बीमारी पहली बार नहीं हुई है
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि कोरोना वायरस के किसी प्रकार ने इतना गंभीर रूप ले लिया हो। उनका कहना है कि, हर दशक में कोई न कोई जूनोटिक (जानवरों से फैलने वाला वायरस) कोरोनावायरस उसकी प्रजाति से बाहर जाकर इंसानों को संक्रमित कर देता है।
इस दशक में हमारे पास नोवेल कोरोना वायरस है, जिसे 2019-nCoV का नाम दिया गया है और इससे कोविड-19 (COVID- 19) नाम की बीमारी होती है। जो कि सबसे पहले चीन के वुहान स्थित सीफूड मार्केट में लोगों से शुरू हुई है।
कोरोना वायरस (कोविड-19) का नाम ऐसा क्यों है?
डॉक्टर का कहना है कि, कोरोना वायरस का नाम उसके आकार पर निर्भर करता है। क्योंकि, इस वायरस का आकार इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोप के नीचे देखने पर ताज यानी क्राउन या फिर सोलर कोरोना जैसा दिखता है।
अभी तक ह्यूमन रेस्पिरेटरी कोरोना वायरस के कितने जानलेवा प्रकार देखे गए हैं?
अभी तक ह्यूमन रेस्पिरेटरी कोरोना वायरस के तीन जानलेवा प्रकार पाए जा चुके हैं। जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं। जैसे-
- सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस (SARS-CoV)
- मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस (MERS-CoV)
- 2019-nCoV, जो कि SARS-CoV से 75 से 80 प्रतिशत मिलता-जुलता है।
पैथोजेनेसिस (संक्रमण का विकास)
इन कोरोना वायरस के प्रकारों से संक्रमित होने पर व्यक्ति को सीवियर इंफ्लेमेटरी रिस्पॉन्स का सामना करना पड़ता है।
कोरोना वायरस कोविड-19 मनुष्यों के लिए ज्यादा संक्रमित है
डॉक्टर के मुताबिक, ऐसा दिख रहा है कि यह कोरोना वायरस कोविड-19 सार्स या मर्स कोरोनावायरस से अलग स्टेंडर्ड टिश्यू-कल्चर सेल्स के मुकाबले प्राइमरी ह्यूमन एयरवे एपिथेलियल सेल्स में ज्यादा फैल रहा है। हालांकि, इसका व्यवहार अधिकतर सार्स की तरह है।
व्यक्ति से व्यक्ति संक्रमण पर ये कहती है रिसर्च
SARS-CoV और MERS-CoV शरीर के अपर एयरवे सेल्स के मुकाबले इंट्रापल्मोनरी एपिथेलियल सेल्स को ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, इन वायरस का ट्रांसमिशन बीमारी से गंभीर ग्रसित व्यक्ति से होता है, न कि माइल्ड या अस्पष्ट लक्षणों से ग्रसित व्यक्ति से। दूसरी तरफ 2019-nCoV भी सेल्युलर रिसेप्टर (ह्यूमन एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग एंजाइम 2 (hACE2)) SARS-CoV की तरह इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन, इसका ट्रांसमिशन व्यक्ति में सिर्फ लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट डिजीज विकसित होने के बाद ही होता दिख रहा है।
इस संक्रमण से संक्रमित होने पर लक्षणों के दिखने का अनुमानित समय करीब 7 दिन (4.0-8.0) देखा गया है। इसके बाद इस बीमारी की वजह से सांस चढ़ने की समस्या का समय 8 दिन (5.0-13.0) से लेकर एक्यूट रेस्पिरेटरी डिजीज सिंड्रोम होने का अनुमानित समय 9 दिन (8.0-14.0) देखा गया है। वहीं, मेकेनिकल वेंटीलेशन के लिए 10.5 दिन (7.0-14.0) और आईसीयू में दाखिल करने का अनुमानित समय भी 10.5 दिन देखा गया है।
कोविड-19 कोरोना वायरस लार्ज ड्रापलेट्स इंफेक्शन है
2019-nCoV का ट्रांसमिशन ज्यादातर संक्रमित व्यक्ति के खांसते या छींकते वक्त निकली लार्ज ड्राप्लेट्स के जरिए और उसके संपर्क से होता है। इसके अलावा, एरोसोल और फोमाइट्स के जरिए इसके फैलने की संभावना कम होती है।
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