खुद से इन दवाओं का सेवन करना आपकी किडनी पर पड़ सकता है भारी

शरीर में क्या काम करती है किडनी?

किडनी के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  • किडनी का अहम काम खून में मौजूद टॉक्सिन्स को साफ करना है। यह यूरिन के जरिए सभी विषैले तत्वों को बाहर करती है। इस कारण इसे शरीर का फिल्टर भी कहते हैं।

  • शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी का संतुलन बनाने का काम किडनी करती है।
  • यह शरीर में जरूरी मात्रा में पानी को रखकर अधिक जमा हुए पानी को यूरिन के रास्ते बाहर निकालती है।
  • किडनी द्वारा रिलीज किए गए हार्मोंस ब्लड प्रेशर को मेंटेन रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
  • किडनी रेड ब्लड सेल्स और विटामिन-डी को बनाने में मदद करती है। विटामिन-डी हड्डियों को मजबूत बनाने व ओवरऑल हेल्थ को बनाए रखने में मदद करता है।

किडनी खराब होने का कारण हो सकता है सेल्फ मेडिकेशन

भारत में बहुत सारे लोग बिना डॉक्टर से परामर्श लिए दवाओं का सेवन करते हैं। डॉक्टर्स भी अक्सर इस बात की शिकायत करते हैं कि कई मरीज ऐसे हैं जो महीनों या सालों पहले लिखी दवाओं का सेवन नियमित करते रहते हैं। स्थानीय मेडिकल स्टोर से बिना प्रिस्क्रिपशन से मिलने वाली दवाओं का लोग सेवन करते हैं। उन्हें यह मालूम भी नहीं होता कि ये दवाएं उनकी किडनी पर कितना बुरा असर डाल रही होती हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की लोगों को सलाह है कि कभी भी अपने डॉक्टर से पूछें बिना किसी दवा का सेवन न करें। पेनकिलर टैबलेट (पैरासिटामोल, आइबूप्रोफेन, एस्पिरिन, निमेसुलाइड आदि), एंटीबायोटिक्स (सल्फोनामाइड्स, टोबरामायसिन, वैंकोमायसिन आदि), एसिडिटी के लिए प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर्स, जैसे ओमेप्राजोल, लांसोप्राजोल, पैंटोप्राजोल, रेबेप्राजोल आदि) ऐसी दवाएं हैं जिन्हें डॉक्टर और मेडिकल एक्सपर्ट्स अक्सर रिकमेंड करते हैं लेकिन इन दवाओं को डॉक्टर की देखरेख में ही लेना चाहिए।

कई अध्ययनों के अनुसार, गैस या एसिडिटी के उपचार के लिए दी जाने वाली पीपीआई दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से किडनी पर बुरा असर पड़ता है। पीपीआई ड्रग्स जैसे ओमेप्राजोल, लांसोप्राजोल, पैंटोप्राजोल, रेबेप्राजोल आदि का इस्तेमाल  6-8 हफ्तों से ज्यादा समय तक करने से क्रोनिक किडनी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। जो लोग इन दवाओं का सेवन करते हैं उन्हें इसके जोखिम की जानकारी भी होनी चाहिए।

हाल ही में डीसीजी (आई) (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) ने इसे लेकर कदम उठाते हुए, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सभी प्रोटॉन पंप इनहिबिटर यानी पीपीआई जैसे  कि ओमेप्राजोल, लांसोप्राजोल, पैंटोप्राजोल, रेबेप्राजोल आदि के लेबल पर ‘एक्यूट किडनी डैमेज’ की चेतावनी को शामिल करने के निर्देश जारी किए हैं।

वर्तमान तथ्यों के आधार पर, प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर्स (पीपीआई) का सेवन केवल डॉक्टर के परामर्श के बाद ही किया जाना चाहिए। इसके अलावा, जो रोगी पीपीआई थेरेपी पर हैं, अंतर्राष्ट्रीय संगठन सुझाव देते हैं कि इसके दीर्घकालिक गंभीर परिणामों को कम करने के लिए समय के साथ धीरे-धीरे इसकी खुराक को कम करने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से इसके बारे में बात करें।

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए इन टिप्स को करें फॉलो

निम्नलिखित टिप्स गुर्दे की क्षति के जोखिम को रोकने में मदद कर सकती हैं:

  • प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर्स (पीपीआई) जैसी दवाओं को लंबे समय तक लेने से परहेज करें। यदि आप या आपके प्रियजन डॉक्टर द्वारा रिकमेंड की गई दवा की खुराक के बाद भी इसका सेवन कर रहे हैं तो एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
  • इन दवाओं को लेने के दौरान शराब पीने से बचें क्योंकि इससे आपको डिहाइड्रेशन और रक्तचाप में वृद्धि हो सकती है। इससे गुर्दे की शिथिलता का खतरा बढ़ सकता है।
  • शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त तरल पदार्थ पिएं। डिहाइड्रेशन से किडनी फेल का खतरा अधिक होता है, क्योंकि यह दवा को लंबे समय तक शरीर में जमा रखता है।
  • इसके अलावा अपने लाइफस्टाइल में बदलाव भी जरूरी है, जैसे कि नियमित रूप से एक्सरसाइज करना, खाने में नमक की कम मात्रा लेना, स्मोकिंग न करना, ब्लड प्रशर और शुगर का कंट्रोल में रहना आदि।

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